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जेयू: अखिल भारतीय भवभूति समारोह के तृतीय दिवस पर हुईं अंतर्विश्वविद्यालयीन प्रतियोगिताएं

ग्वालियर। भवभूति के नाटकों से हर किसी को प्रेरणा लेने की जरूरत है उनके द्वारा लिखित सभी नाटक युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत हैं यहां हम सबकी जिम्मेदारी है भवभूति साहित्य को संरक्षित करें।यह बात सोमवार को जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर के गालव सभागार में चल रहे पांच दिवसीय अखिल भारतीय महाकवि भवभूति समारोह के तृतीय दिवस पर कालिदास संस्कृत अकादमी के निदेशक डॉ.गोविंद गन्धे ने बतौर मुख्य अतिथि कही।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जेयू के छात्र अधिष्ठाता प्रो.जेएन गौतम ने कहा कि संस्कृत से ही हम भारतीय संस्कृति को जान सकते हैं। भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में आज के दिन की हलचल है।विशिष्ट अतिथि के रूप में केआरजी कॉलेज की आचार्य डॉ.कृष्णा जैन और महाकवि भवभूति शोध एवं शिक्षा समिति के अध्यक्ष डॉ.बालकृष्ण शर्मा उपस्थित रहे।समारोह के तृतीय दिवस पर अंतर्विश्वविद्यालयीन प्रतियोगिताएँ आयोजित की गईं इसमें विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्र- छात्राओं ने सरस्वर श्लोक पाठ में महावीरचरितम के श्लोक,संस्कृत भाषण में पारिवारिक संबंध, हिंदी भाषण, हिंदी वाद विवाद, संस्कृत निबंध लेखन इन पांच विधाओं में भागीदारी करते हुए अपनी कला- कौशल का प्रदर्शन किया। श्लोक पाठ में कुनिका गोस्वामी ने रघुवंशी और जनक का संबंध किसको अच्छा नहीं लगता एवं पूर्वा सिंह ने राम जी और वशिष्ठ जी के बीच के संबंध को बताया। 
कार्यक्रम के दौरान अमिता सेंगर ने हे मर्यादा पुरुषोत्तम फिर से आओ जी,जो भूल गए मर्यादा उनको फिर से सिखलाओ जी गीत की मनमोहक प्रस्तुति दी।  प्रतियोगिताओं में निर्णायक के रूप में डॉ.कृष्णा जैन, डॉ. विष्णु नारायण तिवारी,डॉ.श्यामसुंदर पाराशर,गिर्राज गुप्ता,डॉ.राजू राठौर, प्रेमशंकर अवस्थी उपस्थित रहे।आज सम्पन्न हुई प्रतियोगिताओं में हिन्दी भाषण प्रतियोगिता में अंजू कुशवाह,संस्कृत भाषण प्रतियोगिता में सौम्या शर्मा, सस्वर श्लोक पाठ प्रतियोगिता में पूर्वा सिंह,वाद विवाद में हिताक्षी यादव ने प्रथम स्थान प्राप्त किया।कार्यक्रम का संचालन डॉ.राखि वशिष्ठ एवं आभार प्रदर्शन डॉ.विकास शुक्ला ने किया। इस मौके पर टोटन मोईती, राजपाल सिंह जादौन,विजय शंकर श्रीवास्तव, रामस्नेही साहू सहित विभिन्न महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों के शिक्षक एवं छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे।पीआरओ डॉ. विमलेन्द्र सिंह राठौर ने बताया कि इसी क्रम में 23 जनवरी को अखिल भारतीय शोध संगोष्ठी का आयोजन किया जाएगा।

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